सर्दियों के मौसम में अपने दिल को कैसे दुरुस्त रखें

सर्दियों के मौसम में अपने दिल को कैसे दुरुस्त रखें



हृदय रोगों से ग्रस्त लोगों को सर्दियों में अपनी सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है | ऐसा अक्सर देखा गया है कि इस मौसम में तापमान के कम होने पर हार्ट अटैक और दिल के रोगों से संबंधित समस्याएं बढ़ जाती हैं | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे शरीर में इस मौसम में कुछ विशिष्ट बदलाव होते हैं और वहीं वातावरण में भी कुछ विशेष बदलाव होते हैं | यह दोनों तरह के बदलाव मिलकर कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को पैदा कर सकते हैं | कुछ ऐसी ही समस्याओं के बारे में नीचे बता रहें हैं :-

  1. शरीर की ऊष्मा को संरक्षित रखने या बरकरार रखने के प्रयास में हमारी रक्त वाहिनियां सिकुड़ जाती हैं | इसके अलावा सर्दियों में पसीना भी नहीं निकलता है| इस कारण से शरीर में साल्ट (नमक) भी संचित हो जाते हैं जिसके परिणाम स्वरुप रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) बढ़ता है | ब्लड प्रेशर बढ़ने पर हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है | ऐसी स्थिति में जिन लोगों का ब्लडप्रेशर अच्छी तरह से नियंत्रित भी होता है उनकी स्थिति भी खराब हो जाती है | इसके परिणाम स्वरुप व्यक्ति को सांस लेने संबंधित दिक्कतें भी महसूस हो सकती हैं |
  2.  सर्दियो के मौसम में वायरल इंफेक्शन और ऊपरी सांस नली में संक्रमण होने का खतरा कहीं अधिक बढ़ जाता है | दरसल फेफड़ों और दिल की कार्यप्रणाली एक दूसरे पर काफी हद तक संबंधित होती है | इस तरह के संक्रमण के चलते दिल की स्थिति काफी खराब हो सकती है |
  3. सर्दियों में त्योहार और सामाजिक समारोह भी बड़े पैमाने पर होते हैं | विभिन्न समारोहों में लोग उच्च कैलोरी युक्त और ज्यादा नमक वाले खाद्य पदार्थ लेते हैं | अनेक लोग अल्कोहल भी ज्यादा लेते हैं | इन सब कारणों से हृदय और हृदय रोगियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है |
  4. ठंड के प्रभाव के चलते लोग बाहर जाकर टहलने और व्यायाम करने के बजाए कंबल क्या रजाई में रहना अधिक पसंद करते हैं | इस कारण से लोगों का वजन अन्य मौसम की तुलना में ज्यादा बढ़ जाता है |

इन समस्याओं से निजत पाने के उपाय


  1. जो लोग हाई ब्लडप्रेशर और हृदय रोगों से पहले से ही ग्रस्त हैं उन्हें सर्दी के मौसम में सीमित मात्रा में ही नमक और पानी लेना चाहिए |
  2. हृदय रोगियों को ठंड से बचाव करना चाहिए | वह सुबह की सैर को जारी रख सकते हैं लेकिन तड़के टहलने न जाएं | धूप निकलने के बाद ही टहलने के लिए जाए | इसी तरह उन्हें देर शाम भी टहलने नहीं जाना चाहिए और खाली पेट ही व्यायाम करें |
  3. नियमित रूप से ब्लडप्रेशर की जांच कराएं | वजन न बढे इस बात पर भी नजर रखें | अगर फिर भी ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो फिर डॉक्टर के परामर्श से दवा की डोज को समायोजित करें |
  4. सीने में संक्रमण, अस्थमा (दमा),  ब्रोंकाइटिस की समस्या पैदा होने पर शीघ्र ही डाक्टर से परामर्श ले | कुछ लोगों के लिए  सीने में संक्रमण की समस्या गंभीर नहीं होती लेकिन हृदय रोगियों के लिए यह समस्या काफी गंभीर हो सकती है | खासतौर पर उन लोगों के लिए जिनके हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो चुकी हैं |
  5. सांस लेने में दिक्कत महसूस होना, पैरों में सूजन होना या तेजी से वजन का बढ़ना आदि लक्षणों के सामने आने पर डाक्टर से संपर्क करें | डॉक्टर ही इस बात को सुनिश्चित कर सकता है कि आपके शरीर में पानी की अतिरिक्त मात्रा तो संक्षित नहीं है | अगर पानी की अतिरिक्त मात्रा संचित है तो डॉक्टर पेसाब लाने वाली दवाओं (डाईयुरेटीक) की डोज बढ़ाने का परामर्श दे सकते हैं 
  6. साँस संबंधी कुछ विशेष प्रकार के संक्रमण की रोकथाम के लिए न्यूमोकोकल और इंफ्लुएंजा की वैक्सीन लगवाएं | खासकर वह लोग जो उम्र दराज हो चुके हैं, या फिर जिन्हें डायबिटिज हो | इसके अलावा भी वे व्यक्ति जिन के दिल की मांसपेशियां कमजोर हो चुकी हैं | इंफ्लुएंजा की वैक्सीन को प्रतिवर्ष जाड़े की शुरुआत (सितंबर – अक्टूबर) में ही लगवा लेना चाहिए | न्यूमोकोकल वैक्सीन (यह वैक्सीन सीने में संक्रमण से बचाव करती है) की दो डोज पांच सालों के अन्तर पर लगवाने से न्यूमोकोकल संक्रमण से हमेशा के लिए बचा जा सकता है |
  7. बंद कमरे में रूम हीटर का इस्तेमाल करने से कमरे में नमी की कमी हो जाती है, जिसके कारण कुछ लोगों को खांसी और गले में खराश की समस्या उत्पन्न हो सकती है | जो लोग पहले से ही सीने में जकड़न और फेफड़ों की कमजोरी की समस्या से ग्रस्त हैं उन्हें गरम पानी की भाप में सांस लेना चाहिए | बहरहाल उपर्युक्त साधारण सजगताएं बरतें तो सर्दियों में भी सेहत आपका साथ देगी | जो लोग हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग या फिर डायबिटीज से ग्रस्त हैं वह भी इस मौसम में किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या से बचे रह सकते हैं |

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